त्रिवेन्द्र सरकार ने कांग्रेस सरकार के फैसले पलटने शुरू कर दिए हैं. सरकार समय के हिसाब से पुरानी सरकार के फैसलों को अव्यवहारिक बताते हुए बदलाव कर रही है. नगर निकायों का मामला हो या फिर वन रक्षकों की भर्ती का फैसला राज्य सरकार अब नए सिरे से काम कर रही है.
उत्तराखंड सरकार ने शहरी विकास विभाग के तहत पहला बदलाव किया है. नगर निकाय बोर्ड में अब 20 फीसदी से ज्यादा नामित सदस्य नहीं हो सकेंगे. त्रिवेन्द्र सरकार ने हरीश रावत सरकार के पुराने फैसले को पलट दिया है.
कांग्रेस सरकार के समय कीर्तिनगर, देवप्रयाग, नरेन्द्रनगर, नंदप्रयाग और ऊखीमठ जैसे निकायों में मानकों को ताक़ पर रखकर सदस्य नामित किए गए थे.
त्रिवेन्द्र सरकार ने हरीश रावत सरकार के पुराने फैसले को पलट दिया है और अब निर्धारित संख्या से 20 फीसदी ही नामित सदस्य हो सकेंगे. नगर निकाय एक्ट में पुरानी व्यवस्था को संशोधित किया गया है नगर निगमों के मामले में अधिसूचना जारी कर दी गई है.
दूसरी ओर वन रक्षकों की भर्ती के मामले पर भी राज्य सरकार ने बदलाव का फैसला कर लिया है. वन रक्षकों की भर्ती अब राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग नहीं करेगा बल्कि वन विभाग को ही इसका अधिकार देने की तैयारी है.
वन सेवा नियमावली 2016 में राज्य सरकार ने संशोधन का प्लान तैयार कर लिया है. राज्य सरकार दावा कर रही है कि आम लोगों की मदद और उनके हितों में ध्यान में रखकर फैसले किए जा रहे है.
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