देहरादून में रविवार को आयोजित रैबार कार्यक्रम में राज्य के विकास के लिए कई अच्छे सुझाव प्राप्त हुए हैं. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान हमें सुझाव मिले हैं कि कौशल विकास कार्यक्रम पर फोकस किया जाना चाहिए, इसे और अधिक विकसित करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि जिलों की मैपिंग की आवश्यकता पर चर्चा हुयी है. वहां की क्या-क्या आवश्यकताएं और प्राथमिकताएं हैं, इसकी जानकारी होना आवश्यक है ताकि योजनाएं उसके अनुरूप बनाई जाएं. हॉस्पिटैलिटी सेवाओं का विकास किया जाने पर बल दिया गया है. राज्य में कनेक्टिविटी का विकास करने, दूरस्थ क्षेत्रों में एयर कनेक्टिविटी पर बल दिया जाए.

होम स्टे योजना को सांस्कृतिक विशिष्टताओं से जोड़कर विकसित किया जाए. राज्य में एडवेंचर टूरिज्म और माउन्टेन बाईकिंग की काफी सम्भावनाएं हैं. उत्तरकाशी में इस पर प्रयोग भी शुरू कर दिया गया है.

इससे पहले रैबार कार्यक्रम में शामिल हुए आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि पहाड़ में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो पर्यटन के लिए नहीं खुल पाए हैं. उन्हें खोले जाने की आवश्यकता है. हालांकि पर्यटन को बढ़ाते हुए संस्कृति को बचाने पर भी ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा कि पहाड़ में स्कूली शिक्षा के अलावा उच्च शिक्षा के केंद्र खोले जाने की भी आवश्यकता है. उन्होंने पहाड़ में पलायन के प्रमुख कारणों शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव पर भी विस्तार से बात रखी.
प्रख्यात गीतकार प्रसून जोशी ने कहा कि पहाड़ की महिलाओं में संघर्ष की क्षमता है. प्रकृति संघर्ष और जीवटता सिखाती है, परंतु चालाकी नहीं. उन्होंने कहा कि पर्यटन और पर्यावरण के मध्य संतुलन होना चाहिए. उत्तराखंड के लोगों की रचनात्मकता को देखते हुए यहां पर मीडिया एवं क्रिएटिव आर्ट्स का एक संस्थान खोला जाना चाहिए. उन्होंने ब्रांड उत्तराखंड विकसित करने की बात भी कही.

एनटीआरओ के प्रमुख आलोक जोशी ने कहा कि आज हिंदुस्तान में पांच लाख साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों की जरूरत है. उत्तराखंड में उपलब्ध संसाधनों में हल्के-फुल्के बदलाव के साथ साइबर सिक्योरिटी प्रशिक्षण के रूप में एक बड़े क्षेत्र में रोजगार सृजित किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि एनटीआरओ और उत्तराखंड सरकार मिलकर तीन माह के अंदर साइबर सिक्योरिटी ट्रेनिंग के लिए एक केंद्र खोलने जा रहे हैं, जिसमें प्रथम चरण में 25 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा. उन्होंने ड्रोन एप्लीकेशनों के लिए भी देहरादून में सेंटर खोलने की बात कही.

इससे पहले, तीसरे सत्र में इन्वेस्टमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्री और इन्फॉरमेंशन विषय पर चर्चा की गई. हंस फाउंडेशन के सह संस्थापक मनोज भार्गव ने कहा कि उत्तराखंड में ज्ञान की कमी नहीं है, आवश्यकता लोगों को अवसर देने की है.

इंडिया फाउडेशन के अध्यक्ष शौर्य डोभाल ने कहा कि राज्य को विकसित करने के लिए सोच बदलने की आवश्यकता है. हमें लोकल से प्रतियोगिता का लक्ष्य नहीं रखना चाहिए, बल्कि वर्ल्ड क्लास बनने की कोशिश करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि यदि हम अपने राज्य के सेब को वर्ल्ड क्लास बनाने की कोशिश करेंगे, तो ही उसको विकसित कर पाएंगे. कृषि हो या पर्यटन हमें वर्ल्ड क्लास होना होगा.

पंतजलि योग पीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि राज्य प्राकृतिक रूप से अत्यधिक समृद्ध है. पतंजली द्वारा रोजगार उपलब्ध कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पतंजली द्वारा थाई नींबू और चेरी चिली पर एक्सपेरीमेंट कर उत्तराखंड में उगाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि यमकेश्वर ब्लॉक में 6 हजार चंदन के वृक्ष लगाए गए हैं, जो तेजी से ग्रोथ कर रहे हैं.

निम के प्राचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि युवाओं को अवसर दिया जाना चाहिए. युवा बहुत कुछ कर सकते हैं, उन्हें अवसर दिये जाने चाहिए. सीएम के सलाहकार डॉक्टर नवीन बलूनी ने कहा कि निवेशकों को आकर्षित करने के लिए हमें अपनी पॉलिसी और सरल बनानी चाहिए. समापन सत्र में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रधानमंत्री के सचिव भाष्कर खुल्बे भी मौजूद थे.

 
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