पलायन, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के सवालों से लगातार जूझ रहे उत्तराखंड की सत्ता में 17 साल बाद किसी दल को प्रदेश की जनता ने एकमुश्त 57 सीटों पर जीत दर्ज करवाई तो वह भाजपा है. राज्य स्थापना के मौके पर सरकार 'रैबार' कार्यक्रम के जरिए अब इन्हीं सवालों पर जवाब देने की कोशिश करती नजर आ रही है. हिलमेल संस्था की ओर से आयोजित किये जा रहे 'रैबार' के दौरान सरकार ने पिछले 17 सालों में प्रदेश की प्रगति को आंकड़ों से भी समझाने की कोशिश की है.
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहाड़ी जनपदों में उजड़ती खेती को बचने के लिए जहाँ चकबंदी की बात कही, वहीं भ्रष्ट और बेलगाम नौकरशाही को टाइट करने के लिए उन्होंने भ्रष्टाचार के प्रति सरकार के संकल्प से भी लोगों को अवगत करवाया. सीएम अलग-अलग मंचों से पहले भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कार्रवाई की बात कर चुके हैं.
सूबे में प्रति व्यक्ति इनकम 12 गुना बढ़ी
खैर, पहले सत्र में वित्त सचिव अमित नेगी ने सरकार की अब तक की उपलब्धियों का डाटा एक प्रेसेंटेशन के जरिए पेश किया. सरकारी आंकड़ों की मानें तो राज्य गठन के बाद सूबे में प्रति व्यक्ति इनकम 12 गुना तक बढ़ी है. 1999-2000 में जहाँ सूबे में प्रति व्यक्ति सालाना इनकम महज 13 हजार 516 रूपए थी वो अब बढ़कर एक लाख 60 हजार 595 हो गई है. निश्चित तौर पर यह प्रगति का डाटा है. ऐसे ही राज्य सकल घरेलू उत्पाद भी पिछले 17 सालों में 15 गुना बढ़ा है.
0.4 फीसदी ने ही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किया पलायन
सरकार की ओर से पलायन पर पेश किए गए आंकड़ों पर गौर फरमाए तो सबसे ज्यादा 31 फीसदी पलायन बेहतर शिक्षा के लिए हुआ है, जबकि 29 फीसदी पलायन शादी की वजह से हुआ. हैरानी की बात यह है कि 13 फीसदी नौकरी की तलाश में जबकि 0.4 फीसदी ने ही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पलायन किया है. उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर बदहाल हैं, इस पर खुद सरकारें चिंता जाहिर करती रही हैं.
उत्तरप्रदेश से अलग होने के बाद सरकार ने उत्तराखंड के 2964 गाँवों को सड़क से जोड़ा है. इनमें शायद वो गाँव भी हों जिनकी सड़कों पर गाड़ियां नहीं दौड़ती. 17 सालों में सरकार ने सूबे में 17 हजार 64 किमी सड़क नेटवर्क डेवलप किया है, जबकि 22 हजार से भी ज्यादा गाँवों में अब पेयजल की समस्या नहीं रह गई. हालांकि, 17208 बस्तियां ऐसी भी हैं जहाँ पानी नहीं पहुंचा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 98.90 फीसदी गाँवों का विद्युतीकरण हो गया है.
पानी, बिजली, रोजगार हर मोर्चे पर सरकार की उपलब्धियों को देखें तो विपक्षी दलों का विकास को लेकर हंगामा बेनामी लगता है. बहरहाल, रैबार कार्यक्रम के जरिये सरकार सूबे में पर्यटन और पर्यावरण, पलायन, बेरोजगारी, इन्वेस्टमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्री एवं नया उत्तराखण्ड जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेगी. इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल समेत सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत जैसी शख्सियत भी शामिल हो रही हैं.
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