तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस फैसले ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को जश्न का जहां मौका दिया. वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में दो फाड़ में बंटता नजर आ रहा है.
तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिलाएं सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ट्रिपल तलाक के बचाव में दलील दे रहा था. ट्रिपल तलाक के पक्ष में पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश भर की 3 करोड़ मुस्लिम महिलाओं से हस्ताक्षर कराकर सुप्रीम में दलील दिया था कि मुस्लिम महिलाएं पक्ष में है. कोर्ट और सरकार इसमें दखल न दें. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मंगलवार को एक साथ तीन तलाक को खत्म कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र सरकार 6 महीने के अंदर संसद में इसको लेकर कानून बनाए. सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायधीश जे.एस. खेहर के नेतृत्व में 5 जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाया. कोर्ट में तीन जज तीन तलाक को अंसवैधानिक घोषित करने के पक्ष में थे, वहीं 2 दो जज इसके पक्ष में नहीं थे.
हमारे सूत्रों के मुताबिक कोर्ट के फैसले को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दो धड़ों में बंट गया है. इसमें एक धड़ा है जो सुप्रीम कोर्ट के पर राजी है और उसे मानने लेने की बात कह रहा है. तो वहीं दूसरा एक धड़ा है जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के से खुश नहीं है. इसे लेकर वो देश भर में आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहता है.
सूत्रों के माने तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के शिया गुट सुप्रीम कोर्ट के पक्ष में है, तो वहीं सुन्नी गुट इस फैसले के खिलाफ है. तीन तलाक के मुकदमे में प्रमुख पक्षकार रहे ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड मिल बैठकर आगे का कदम तय करेगा.
ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि अब देश में तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय को रोका जा सकेगा. उन्होंने कहा, हजरत मुहम्मद साहब के जमाने में भी तीन तलाक की व्यवस्था नहीं थी. हम चाहते हैं कि जिस प्रकार कानून बनाकर सती प्रथा को खत्म किया गया, वैसे ही तीन तलाक के खिलाफ भी सख्त कानून बने.
इससे साफ है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को दो धड़ो में बांट दिया है.
तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिलाएं सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ट्रिपल तलाक के बचाव में दलील दे रहा था. ट्रिपल तलाक के पक्ष में पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश भर की 3 करोड़ मुस्लिम महिलाओं से हस्ताक्षर कराकर सुप्रीम में दलील दिया था कि मुस्लिम महिलाएं पक्ष में है. कोर्ट और सरकार इसमें दखल न दें. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मंगलवार को एक साथ तीन तलाक को खत्म कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र सरकार 6 महीने के अंदर संसद में इसको लेकर कानून बनाए. सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायधीश जे.एस. खेहर के नेतृत्व में 5 जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाया. कोर्ट में तीन जज तीन तलाक को अंसवैधानिक घोषित करने के पक्ष में थे, वहीं 2 दो जज इसके पक्ष में नहीं थे.
हमारे सूत्रों के मुताबिक कोर्ट के फैसले को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दो धड़ों में बंट गया है. इसमें एक धड़ा है जो सुप्रीम कोर्ट के पर राजी है और उसे मानने लेने की बात कह रहा है. तो वहीं दूसरा एक धड़ा है जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के से खुश नहीं है. इसे लेकर वो देश भर में आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहता है.
सूत्रों के माने तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के शिया गुट सुप्रीम कोर्ट के पक्ष में है, तो वहीं सुन्नी गुट इस फैसले के खिलाफ है. तीन तलाक के मुकदमे में प्रमुख पक्षकार रहे ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड मिल बैठकर आगे का कदम तय करेगा.
ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि अब देश में तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय को रोका जा सकेगा. उन्होंने कहा, हजरत मुहम्मद साहब के जमाने में भी तीन तलाक की व्यवस्था नहीं थी. हम चाहते हैं कि जिस प्रकार कानून बनाकर सती प्रथा को खत्म किया गया, वैसे ही तीन तलाक के खिलाफ भी सख्त कानून बने.
इससे साफ है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को दो धड़ो में बांट दिया है.
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